Home

भरो ज़िन्दगी में रंग अपने अपनों के संग...!

होश संभाला जब से इस दुनिया में नफरत को ही पाया...खुदगर्जी की इस दुनिया में कोई अपना न बन पाया...
इस वाक्य का तात्पर्य मेरे अपने जीवन से है...जो सचाई पे आधारित है... मैंने जीवन के इस छोटी सी उम्र में कई उतार चढ़ाब देखे है...कहीं नफरत कहीं धोका, कहीं चालबाजी तो कहीं भेद भाव !
                             प्रेम और भाई चारा शब्द जैसे लुप्त से हो गय है ...लेकिन क्यूँ????
सवाल तो कई सारे है, इसका जावाब कोई ढूंढता है तो कोई उसका साथ नहीं देता, साथ देता है कोई बढ़ता नहीं...! बात वहीँ की वहीँ रह जाती है... ये सवाल आज मेरे मन में भी है , !
मेरा निष्कर्ष बस यहीं तक पहुचाता  है की हम इंसान बुरे नहीं बुरा वक़्त होता है, पर हम इंसान वक़्त को भी  क्यूँ बुरा बनने दे जो हमे खुद अपनों के  नज़र में ही गिरने पे मजबूर करदे ! रास्तें गुमराह करते है पर मंजिल हमे खुद ढूंढनी होती है! कोशिश तो हम इंसानों को ही करना है, एक कोशिश की दीप जलाकर....!
कई लोग मिले मुझे इस ज़िन्दगी  के उतार चढ़ाब में, कई दोस्त कई दुश्मन भी हुए, कभी गलती मेरी भी थी कभी औरों की, पर गलती से सीखना यही हम इंसानों का कर्तव्य है! ज़िन्दगी हमे छोटी छोटी चीज सिखला जाती  है, इसी का नाम है ज़िन्दगी पर जो इस ज़िन्दगी से सबक लेता है ज़िन्दगी उसी की आगे मंजिल तक ले जाती है...कही अनकही पहेली से भडी ये ज़िन्दगी हमे बहुत कुछ दिखा जाती है....कभी रंगों सी हरी बढ़ी ज़िन्दगी तो कभी सुना सा हर पल....मेरी एक कोशिश अपने अपनों क लिए ,उनको एहसास दिलाने क लिए ये ज़िन्दगी बहोत छोटी है, तो जीयो जी भरकर पर अपने अपनों के संग...न क सिर्फ खुद के लिए!
हमारे अपने  ही हमारे ज़िन्दगी की छोटी छोटी कमियों को पूरा करते है, हमसे प्यार करते है, अधूरी है हमारी ये ज़िन्दगी हमारे अपनों क बिना!तो प्यार करे अपने अपनों को...अपने साथी अपने दोस्तों को.....!


10 comments:

  1. Rohit said...:

    "bura jo dekhan mai chala, bura na milya koi,
    jo mann dekha aapna, mujhse bura na koi."

    waqt sabke liye ek jaisa hota hai. wo to neutral hota hai. use acha ya bura banate hain karm . . karm acha ya bura hota hau jab wo apne swaarth ke liye kiya jata. swaarthrahit karm kabhi bura nahi ho sakta . . to waqt ko acha banane ke liye khud ki tahon se upar uthkar, swaathrahit karm karne ki zarurat hai . . wo karm hi shreshtha karm hoga aur satisfying bhi . .

  1. Manisha Roy said...:

    u rt my dear par koshish jaise bhi kero hume khudh hi karni hoti hai, chahe wo karm se ho chahe aap apne anubhavo se sikho...!

  1. Anonymous said...:

    nice thought manisha ..great work !!

  1. yash agrawal said...:

    Manisha, Koolest one... aisa laga, apni zindagi yahan utaar di...

  1. Manisha Roy said...:

    nhin yash ye anubhav hai meri zindagi k jo maine mehsus kiya h!

  1. saurabh said...:

    apki samajh zindgi ki sachayi ke bahut hi kareeb hai ..aisa mostly sabhi ke jeevan may hota hai..aur yaha se hi shayad ham apne jeevan ki majboot neev rakh pate hai..thanks manisha./

  1. Manisha Roy said...:

    thnks to u also saurabh..!

  1. Journo72 said...:

    great notes indeed . It was love reading them .. Keep up to good work ..
    Regards
    Kamlesh

  1. Unknown said...:

    मेरी खुद की भी ये ही कहानी है मेरे भाई अपनों ने मारा मुझे बेगानों में कहाँ दम था

Post a Comment

 
मेरी जुबानी , कही अनकही पहेली ! © 2011 | Template by Blogger Templates Gallery - Life2Work