मेरा तात्पर्य सिर्फ इतना है की लोगो की सोच क्यूँ ऐसी हो गई है, जो आज़ाद भारत भी गुलाम लगने लगा है ...ये महसूस करने की चीज है जो शायद मैंने किया है...शायद मैं गलत भी हो सकती हूँ...
लोगो ने अपने ही आज़ाद भारत को गुलामी क जंजीरों में बाँध रखा है...!
किसी ने छल से किसी ने बल से...कोई खुद को महान समझकर धर्म भूल जाता है...कोई भटकते भटकते अपने फ़र्ज़ से वंचित रह जाता है....!
दोस्तों ये हमारा आज़ाद भारत है जिसकी जिमेदारी हमारे इन् हाथों में है, इन्हें मत मिटने दो, जो वजूद है इनका उन्हें मत खोने दो...गुजारिश मेरी हर उस भारत वासी से हर एक कदम चाहे वो छोटी हो या बड़ी बढाते चलो जो हमारे देश को एक नयी सिखर पे ले जायेगा... जन्हा हर एक भारतवासी इस देश को सफल बनाएगा, सिर्फ वो फौजी ही क्यूँ कर्तव्य निभाए हम भी इस देश के वासी है..आओ हम सब मिलकर कदम बढ़ाये...थोडा थोडा योगदान ही एक दिन सर्धांजलि होगी उनको जिन्होंने जान गवा दिए भारत की आजादी के लिए...
कहना आसन है, कई लोग ऐसा कहते है पर इतना मुश्किल भी नहीं....हम एक जूट न होकर न सही पर अपनी सोच एकजुट जरुर कर सकते है भारत के सही निर्माण के लिए जरुरी है "सोच को बदलना रास्तें अपने आप दिख जाते है, मंजिल की कदम बढाने तक की देर है रास्तें खुद बन जाते है...
जय हिंद जय भारत...!
"सोच को बदलना रास्तें अपने आप दिख जाते है, मंजिल की कदम बढाने तक की देर है रास्तें खुद बन जाते है...
A GOOD THOUGHT